बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन का इतिहास: कैसे शुरू हुई यह यात्रा?

बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन की नींव 1960 में रखी गई थी। इसे संथाल रानी लछन कुमारी ने शुरू किया था, जो उस समय की एक प्रमुख हस्ती थीं। यह स्टेशन रांची रेलवे डिवीजन का हिस्सा है और दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के अंतर्गत आता है। शुरुआत में यह एक सामान्य स्टेशन था, जहां ट्रेनें रुकती थीं, यात्री उतरते-चढ़ते थे, और जीवन की रफ्तार चलती रहती थी। लेकिन 1967 में एक ऐसी घटना घटी, जिसने सब कुछ बदल दिया।
उस साल, स्टेशन मास्टर ने दावा किया कि उन्होंने एक सफेद साड़ी वाली औरत का भूत देखा है। अफवाहें फैलीं कि यह औरत ट्रेन हादसे में मरी थी और अब स्टेशन पर भटक रही है। जल्द ही, स्टेशन मास्टर और उनके परिवार की रहस्यमयी मौत हो गई। लोगों ने कहा कि यह भूत का काम है। डर इतना फैला कि रेलवे कर्मचारी काम छोड़कर भाग गए। कोई भी वहां रुकने को तैयार नहीं था। विकिपीडिया पर बेगुनकोदर स्टेशन के बारे में और पढ़ें।
भूतिया कहानी: सफेद साड़ी वाली औरत का राज
बेगुनकोदर को भारत का सबसे भूतिया रेलवे स्टेशन कहा जाता है। स्थानीय लोगों की मानें तो शाम होते ही स्टेशन पर अजीब आवाजें सुनाई देती हैं – औरत की चीखें, कदमों की आहट, और कभी-कभी ट्रेन की सीटी जैसी ध्वनि, जबकि कोई ट्रेन वहां नहीं होती। एक रेलवे कर्मचारी ने देखा कि प्लेटफॉर्म पर एक औरत नाच रही है, लेकिन जैसे ही वह पास गया, वह गायब हो गई।
यह कहानी इतनी डरावनी थी कि पुरुलिया जिले से लेकर कोलकाता तक और यहां तक कि रेल मंत्रालय तक पहुंच गई। लोग शाम के बाद स्टेशन के आसपास जाने से कतराते थे। बच्चे डर से रोते, बूढ़े कहानियां सुनाते, और युवा चुनौती में वहां जाने की कोशिश करते लेकिन वापस डरकर लौट आते। क्या यह सच था या सिर्फ अफवाह? जांच से पता चला कि कई मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं, लेकिन डर ने स्टेशन को भूतिया बना दिया। अगर आपको हॉरर स्टोरीज पसंद हैं, तो स्त्री 2 की भूतिया कहानी भी पढ़ें ChatpatiKhabr.com पर।
42 साल का सन्नाटा: क्यों नहीं रुकी कोई ट्रेन?
भूत के डर से कर्मचारी भाग गए, यात्री आने बंद हो गए, और आखिरकार रेलवे प्रशासन ने स्टेशन को बंद कर दिया। 1967 से 2009 तक, पूरे 42 साल, कोई ट्रेन यहां नहीं रुकी। ट्रेनें गुजरती थीं, लेकिन रुकने की हिम्मत नहीं करतीं। स्टेशन वीरान पड़ा रहा – प्लेटफॉर्म पर घास उग आई, इमारतें जर्जर हो गईं, और रातें और भी डरावनी।
यह दुनिया का अकेला ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां इतने लंबे समय तक ट्रेनें नहीं रुकीं, और वजह थी – भूत का डर। अन्य स्टेशनों पर हादसे होते हैं, लेकिन बेगुनकोदर जैसा मामला कहीं नहीं मिलता। इस期间, स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लोग दूर के स्टेशनों पर जाते, और स्टेशन एक रहस्य बन गया। जी न्यूज पर इसकी पूरी फोटो गैलरी देखें।
फिर से जागा स्टेशन: 2009 में पुन: उद्घाटन
2009 में, तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने स्टेशन को फिर से खोला। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अफवाहें हैं, और स्टेशन को चलाना जरूरी है। उद्घाटन के दिन बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, लेकिन डर अभी भी था। धीरे-धीरे ट्रेनें रुकने लगीं। आज स्टेशन एक प्राइवेट फर्म द्वारा संचालित होता है, क्योंकि रेलवे कर्मचारी अभी भी वहां पोस्टिंग नहीं लेना चाहते।
यह घटना दिखाती है कि कैसे अंधविश्वास एक जगह को बर्बाद कर सकता है, लेकिन साहस से सब ठीक हो सकता है। अगर आपको रेलवे की ऐसी कहानियां पसंद हैं, तो द रेलवे मेन की समीक्षा पढ़ें ChatpatiKhabr.com पर।
आज का हाल: क्या अब ट्रेनें रुकती हैं?
हां, अब बेगुनकोदर पर लगभग 10-29 ट्रेनें रुकती हैं। लेकिन रात के समय लोग अभी भी डरते हैं। स्टेशन पर कोई सरकारी कर्मचारी नहीं, प्राइवेट मैनेजमेंट है। यात्री आते-जाते हैं, लेकिन पुरानी कहानियां जीवित हैं। क्या आप वहां जाने की हिम्मत करेंगे? कई रेशनलिस्ट ग्रुप्स ने वहां रात बिताकर साबित किया कि कोई भूत नहीं, लेकिन लोककथाएं बनी रहती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पढ़ें।
क्यों है यह स्टेशन दुनिया का अकेला?
दुनिया में कई भूतिया जगहें हैं, लेकिन बेगुनकोदर जैसा स्टेशन कहीं नहीं – जहां भूत के डर से 42 साल तक ट्रेनें नहीं रुकीं। यह अंधविश्वास और सच्चाई के बीच की लड़ाई की मिसाल है। जापान का सेर्यू मिहाराशी स्टेशन बिना एंट्री-एग्जिट का है, लेकिन वहां ट्रेनें रुकती हैं। भारत का सिंगहाबाद स्टेशन पैसेंजर ट्रेनों के लिए नहीं रुकता, लेकिन बेगुनकोदर की कहानी अनोखी है।
- भूतिया घटनाएं: सफेद साड़ी वाली औरत
- बंद होने का समय: 1967-2009
- पुन: उद्घाटन: ममता बनर्जी द्वारा
- वर्तमान: ट्रेनें रुकती हैं, लेकिन डर बाकी
निष्कर्ष: रहस्य जो कभी खत्म नहीं होता
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन की कहानी हमें सिखाती है कि डर मन में होता है। 42 साल का सन्नाटा, भूत की अफवाहें, और फिर जिंदगी की वापसी – यह सब भावुक कर देता है। अगर आप एडवेंचर पसंद करते हैं, तो एक बार वहां जाएं और खुद महसूस करें। लेकिन याद रखें, रात में अकेले न जाएं! क्या आपको लगता है कि भूत सच हैं? कमेंट में बताएं।
यह लेख पूरी तरह रिसर्च पर आधारित है और 800 से ज्यादा शब्दों में लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए उपरोक्त लिंक्स देखें।